Glossary entry (derived from question below)
Jan 1, 2009 08:24
15 yrs ago
Hindi term
wadi
Non-PRO
Hindi to English
Other
Cooking / Culinary
ingredient
from an original indian cooking text
Proposed translations
(English)
5 +3 | wadi (वड़ी, वड़ियाँ) | C.M. Rawal |
5 +1 | A kind of eatable made from rice or split pulse | Vimal Panchal |
Change log
Jan 15, 2009 04:25: C.M. Rawal Created KOG entry
Proposed translations
+3
3 hrs
Hindi term (edited):
wadi (वड़ी)
Selected
wadi (वड़ी, वड़ियाँ)
The term 'wadi' cannot be translated into English.
Wadis are sun-dried spheres of urad dal cooked with lots of black pepper and red chillies. You can get wadis at most grocery stores in Punjab but the true Amritsaris go to those tiny stores in the old walled city.
These types of wadis are traditionally prepared in Punjab and are very popular in India and abroad. However, there are other varieties also, like Moong Dal Wadi, which are less spicy.
http://foodiezone.blogspot.com/2008/08/taste-of-amritsar.htm...
Maharashtra's Bhakhar Wadi or Kothumbir Wadi are different preparations and are independent dishes whereas Punjab's traditional wadis are used in preparing various dishes like aaloo wadi or aaloo wadi ki sabzi.
Here is one interesting reading in this regard in Hindi. If you click the given links, you would find beautiful illustrations also.
कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव
जीवन एक उत्सव है. जीवन में छोटे से छोटा अनुष्ठान इस प्रकार से किया जाए कि उसमें रस आये – यह हमारे समाज की जीवन शैली रही है. इसका उदाहरण मुझे मेरी मां द्वारा वड़ी बनाने की क्रिया में मिला।
मैने अपनी मां को कहा कि वो गर्मी के मौसम में, जब सब्जियों की आमद कम हो जाती है, खाने के लिये वड़ियां बना कर रख लें. मां ने उड़द और मूंग की वड़ियां बनाईं. शाम को जब वे सूखी वडियां कपडे से छुड़ा कर अलग कर रहीं थीं तब मैं उनके पास बैठ कर उनके काम में हाथ बटाने लगा. चर्चा होने लगी कि गांव में उडद और कोहंड़े (कद्दू) की वड़ी कैसे बनाई जाती थी।
मेरी माँ द्वारा बनाईं वडियां
मां ने बताया कि कोंहड़ौरी (कोंहड़े व उड़द की वड़ी) को बहुत शुभ माना गया है. इसके बनाने के लिये समय का निर्धारण पण्डित किया करते थे. पंचक न हो; भरणी-भद्रा नक्षत्र न हो – यह देख कर दिन तय होता था. उड़द की दाल एक दिन पहले पीस कर उसका खमीरीकरण किया जाता था. पेठे वाला (रेक्सहवा) कोहड़ा कोई आदमी काट कर औरतों को देता था. औरतें स्वयं वह नहीं काटती थीं. शायद कोंहड़े को काटने में बलि देने का भाव हो जिसे औरतें न करतीं हों. पड़ोस की स्त्रियों को कोहंड़ौरी बनाने के लिये आमंत्रित किया जाता था. चारपाई के चारों ओर वे बैठतीं थीं. चारपाई पर कपड़ा बिछाकर, उसपर कोंहड़ौरी खोंटती (घोल टपकाकर वडी बनाती) थीं. इस खोंटने की क्रिया के दौरान सोहर (जन्म के अवसर पर गाया जाने वाला मंगल गीत) गाती रहतीं थीं.
सबसे पहले सात सुन्दर वड़ियां खोंटी जाती थीं. यह काम घर की बड़ी स्त्री करती थी. उन सात वड़ियों को सिन्दूर से सजाया जाता था. सूखने पर ये सात वड़ियां घर के कोने में आदर से रख दी जातीं थीं. अर्थ यह था कि जितनी सुन्दर कोंहड़ौरी है, वैसी ही सुन्दर सुशील बहू घर में आये.
कोंहड़ौरी शुभ मानी जाती थी. लड़की की विदाई में अन्य सामान के साथ कोंहड़ौरी भी दी जाती थी.
कितना रस था जीवन में! अब जब महीने की लिस्ट में वडियां जोड़ कर किराने की दुकान से पालीथीन के पैकेट में खरीद लाते हैं, तो हमें वड़ियां तो मिल जाती हैं – पर ये रस तो कल्पना में भी नहीं मिलते.
http://halchal.gyandutt.com/2007/04/blog-post_13.html
Wadis are sun-dried spheres of urad dal cooked with lots of black pepper and red chillies. You can get wadis at most grocery stores in Punjab but the true Amritsaris go to those tiny stores in the old walled city.
These types of wadis are traditionally prepared in Punjab and are very popular in India and abroad. However, there are other varieties also, like Moong Dal Wadi, which are less spicy.
http://foodiezone.blogspot.com/2008/08/taste-of-amritsar.htm...
Maharashtra's Bhakhar Wadi or Kothumbir Wadi are different preparations and are independent dishes whereas Punjab's traditional wadis are used in preparing various dishes like aaloo wadi or aaloo wadi ki sabzi.
Here is one interesting reading in this regard in Hindi. If you click the given links, you would find beautiful illustrations also.
कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव
जीवन एक उत्सव है. जीवन में छोटे से छोटा अनुष्ठान इस प्रकार से किया जाए कि उसमें रस आये – यह हमारे समाज की जीवन शैली रही है. इसका उदाहरण मुझे मेरी मां द्वारा वड़ी बनाने की क्रिया में मिला।
मैने अपनी मां को कहा कि वो गर्मी के मौसम में, जब सब्जियों की आमद कम हो जाती है, खाने के लिये वड़ियां बना कर रख लें. मां ने उड़द और मूंग की वड़ियां बनाईं. शाम को जब वे सूखी वडियां कपडे से छुड़ा कर अलग कर रहीं थीं तब मैं उनके पास बैठ कर उनके काम में हाथ बटाने लगा. चर्चा होने लगी कि गांव में उडद और कोहंड़े (कद्दू) की वड़ी कैसे बनाई जाती थी।
मेरी माँ द्वारा बनाईं वडियां
मां ने बताया कि कोंहड़ौरी (कोंहड़े व उड़द की वड़ी) को बहुत शुभ माना गया है. इसके बनाने के लिये समय का निर्धारण पण्डित किया करते थे. पंचक न हो; भरणी-भद्रा नक्षत्र न हो – यह देख कर दिन तय होता था. उड़द की दाल एक दिन पहले पीस कर उसका खमीरीकरण किया जाता था. पेठे वाला (रेक्सहवा) कोहड़ा कोई आदमी काट कर औरतों को देता था. औरतें स्वयं वह नहीं काटती थीं. शायद कोंहड़े को काटने में बलि देने का भाव हो जिसे औरतें न करतीं हों. पड़ोस की स्त्रियों को कोहंड़ौरी बनाने के लिये आमंत्रित किया जाता था. चारपाई के चारों ओर वे बैठतीं थीं. चारपाई पर कपड़ा बिछाकर, उसपर कोंहड़ौरी खोंटती (घोल टपकाकर वडी बनाती) थीं. इस खोंटने की क्रिया के दौरान सोहर (जन्म के अवसर पर गाया जाने वाला मंगल गीत) गाती रहतीं थीं.
सबसे पहले सात सुन्दर वड़ियां खोंटी जाती थीं. यह काम घर की बड़ी स्त्री करती थी. उन सात वड़ियों को सिन्दूर से सजाया जाता था. सूखने पर ये सात वड़ियां घर के कोने में आदर से रख दी जातीं थीं. अर्थ यह था कि जितनी सुन्दर कोंहड़ौरी है, वैसी ही सुन्दर सुशील बहू घर में आये.
कोंहड़ौरी शुभ मानी जाती थी. लड़की की विदाई में अन्य सामान के साथ कोंहड़ौरी भी दी जाती थी.
कितना रस था जीवन में! अब जब महीने की लिस्ट में वडियां जोड़ कर किराने की दुकान से पालीथीन के पैकेट में खरीद लाते हैं, तो हमें वड़ियां तो मिल जाती हैं – पर ये रस तो कल्पना में भी नहीं मिलते.
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A kind of eatable made from rice or split pulse
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